धर्मयुद्ध 2024

2024 के चुनाव राजनीति और राजनैतिक दलों से कहीं आगे जाएंगे। इस बार दांव बहुत ऊँचे हैं। इस विषय में हमें कोई भ्रम नहीं होना चाहिए—यदि श्री नरेंद्र मोदी की सरकार स्पष्ट बहुमत के साथ वापस नहीं आती हैं, हम भारत के लिए यह युद्ध I.N.D.I.A और वैश्विक वोक (Woke) वादिओं से हार सकते हैं।

सनातन धर्म पर होने वाले आक्रमणों का एक कारण—निस्संदेह, सोच समझ कर की गयी शैतानी और राजनैतिक लाभ के अलावा—यह है कि वास्तव में अधिकांश लोग जो इसकी आलोचना करते हैं और इस पर आक्रमण करते हैं, इसके बारे में बहुत कम जानते या समझते हैं। और यह, दुर्भाग्य से, उन कई लोगों पर समान रूप से लागू होता है जो इसका बचाव करना चाहते हैं। इसीलिए, सनातन धर्म के इर्द-गिर्द होने वाली अधिकांश सार्वजनिक चर्चा राजनैतिक एवं भावनाओं से भरे शोर के नीचे दब गई है। आवश्यकता है सभी सम्मानजनक मंचों और स्थानों पर धर्म के विषय में तर्कसंगत और ज्ञानपूर्ण बहस की—यह अत्यंत महत्वपूर्ण आवश्यकता है, क्योंकि सनातन धर्म भारतीय सभ्यता के स्वभाव और चरित्र को परिभाषित करता है एवं आकार देता है। यह ऐसा विषय नहीं है जिसे कि सहजता से लिया जाये या फिर राजनैतिक शोर समझ कर छोड़ दिया जाये। 

हम में से वह लोग जो की अपने वैदिक पूर्वजों के सनातन धर्म को जानते या समझते है —जिसे मैंने वेदों और उपनिषदों का सनातन धर्म कहा है—उन्हें अब तक समझ आ गया होगा कि जिस सनातन धर्म का इतने सारे राजनेता सार्वजनिक रूप से अपमान कर रहे हैं वह वास्तविक सनातन धर्म है ही नहीं, यह वह ‘सनातन धर्म’ है जिसे कुछ अत्यधिक हताश लोगों ने जानबूझकर विकृत रूप में प्रदर्शित किया है, जो न केवल राजनीतिक लाभ से बल्कि उनके नियंत्रण से परे अधर्म और असत्य की गहरी शक्तिओं से प्रेरित एवं प्रभावित हो रहे हैं।

धर्म के लिए युद्ध, धर्मयुद्ध—चाहे यह कितना ही स्थानीय प्रतीत हो, सर्वदा ब्रह्मांडीय होता है। सनातन धर्म के महान ऋषिओं एवं सिद्धपुरुषों ने युगों-युगों इसे प्रकाशित किया है—इससे पहले कि धर्म के सत्य पृथ्वी पर स्थापित हों और मानव प्रकृति के साथ धर्म का एकीकरण हो, हमें महान आंतरिक और बाहरी युद्ध लड़ने होंगे।

ऐसा एक युद्ध अब हमारे सामने है, और दोनों पक्षों के बीच की रेखाएँ एक दम स्पष्ट हैं। हम 21 वीं सदी के धर्मयुद्ध के प्रवेशद्वार पर खड़े हैं।

2024 चुनाव का वर्ष है, जब भारत अपनी 18 वीं लोकसभा चुनेगा। यह चुनाव, यद्यपि, राजनीति एवं राजनैतिक दलों से कहीं अधिक महत्वपूर्ण है। इस बार दाव बहुत ऊँचे होंगे। इस विषय में हमें कोई भ्रम नहीं होना चाहिए—यदि श्री नरेंद्र मोदी की सरकार स्पष्ट बहुमत के साथ वापस नहीं आती हैं, हम भारत के लिए यह युद्ध I.N.D.I.A और वैश्विक वोक (Woke) वादिओं से हार सकते हैं। और यह विषय चतुर नामों एवं शीर्षकों से परे है। भारत एक स्तर पर सभ्यता की निरंतरता और दूसरे स्तर पर वैश्विक मानव भविष्य का प्रतिनिधित्व करता है। वह केवल भारत ही है जिसमें विश्वगुरु बनने की क्षमता है, मानव सभ्यता को एक नयी दुनिया और एक नयी चेतना की और अग्रसर करने की क्षमता, और यह उसे अवश्य करना चाहिये। मानव सभ्यता के विकास में प्रत्येक राष्ट्र की एक नियत भूमिका होती है, और यह विश्व के राष्ट्रों के बीच भारत की नियत भूमिका है। यह 4000 वर्ष पुरानी सभ्यता शक्ति  जिसे हम सनातन धर्म कहते हैं, का स्वाभाविक और अनुकूलित परिणाम है।

इस सनातन धर्म को उसके वास्तविक रूप में जानना एवं समझना अत्यंत आवश्यक है। यह वास्तव में धर्मयुद्ध का पहला पग है। ज्ञान हमारा प्रथम महान अस्त्र है, एक दिव्य अस्त्र, क्योंकि ज्ञान शक्ति एवं बल प्रदान करता है। और शक्ति का उपयोग जब धर्म के लिए किया जाता है, तो वह दैवीय शक्ति का रूप ले लेती है—जिसे सनातन धर्म में दुर्गा के रूप में महानतापूर्वक दर्शाया गया है। इस दैवीय शक्ति के बिना यह धर्मयुद्ध लड़ा और जीता ही नहीं जा सकता।

इस लिये, अब—हमारे राष्ट्र, हमारी सभ्यता और आवश्यक रूप से हमारी मानवता के लिए—इस दैवीय शक्ति का आवाहन करने का समय आ गया है।

धर्मो रक्षति रक्षितः — जैसा कि हमारे महान ऋषियों ने घोषित किया था—जब हम धर्म की रक्षा करते हैं तो धर्म हमारी रक्षा करता है।
 

अनुवादसमीर गुगलानी

Author

  • Partho is a poet, writer and teacher of Vedanta. He writes on Sanatan Dharma, Vedanta, Integral Yoga and education. His published books include ‘Integral Education—Beyond Schooling’, 'Somewhere Among the Stars’ (as Adi Varuni), ‘This is Sanatan Dharma—A Quest for Truth’, and ‘From the Mystic Beyond’.

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